Hindi short poem-small poem on nature in hind
Iss Hindi short poem mei ek chotisi hindi kavita hai jo hume janwaro ke prati manavta aur jangal ko surakshit rakhne ki sikh deti hai.Aise hi aur manrochak chijo ke liye iss poem ko padhne ke baad jarur visit kare:- hindiforu.in
कविता
जंगल और जीव
रहता वन में और हमारे,
संग साथ भी रहता है.
यह गुजरता तस्करों के,
जालिम जुल्मों को सहता है.
समझदार है,सीधा भी हैं,
काम हमारे आता है.
सर्कस के कोड़े खाकर,
नूतन करतब दिखलाता है.
मुक प्राणियों पर हमको तो,
तरस बहुत ही आता है.
इनकी देख दुर्दशा अपना,
सीना फटता जाता है.
वन्यजीव जितने भी है,
सब का अस्तित्व बचाना है,
जंगल के जीवो के ऊपर,
दया हमें दिख लाना है.
वृक्ष अमूल्य धरोहर है,
इनकी रक्षा करना होगा.
जीवन जीने की खातिर,
वन को जीवित रखना होगा.
तनिक क्षणिक लालच को,
अपने मन से दूर भगाना है.
धरती का सौंदर्य धरा पर,
हम तो वापस लाना है.
रूपचंद्र शास्त्री मयंक.